The Greatest Guide To Shodashi

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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं 

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥९॥

When the specific intention or significance of this variation may range according to own or cultural interpretations, it might usually be recognized as an extended invocation in the combined Power of Lalita Tripurasundari.

The Devas then prayed to her to demolish Bhandasura and restore Dharma. She is considered to possess fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are with the watch that Bhandasura took various kinds and Devi appeared in numerous kinds to annihilate him. Eventually, she killed Bhandasura Along with the Kameshwarastra.

॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

As 1 progresses, the 2nd period entails stabilizing this newfound consciousness by means of disciplined practices that harness website the intellect and senses, emphasizing the important job of Electricity (Shakti) On this transformative system.

तरुणेन्दुनिभां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥२॥

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

If you are chanting the Mantra for a selected intention, publish down the intention and meditate on it five minutes right before beginning Using the Mantra chanting and 5 minutes after the Mantra chanting.

The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual progress along with the attainment of worldly pleasures and comforts.

सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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